Registration number - U88900JH2023NPL020331
City of Registration - Itkhori ;
State of Registration - Jharkhand
# बाल विकास
गुरु के ही आस पास संभव है बाल विकास।
# जैविक खेती
जमीं पर जब बनेंगे हलों से निसान तभी उन्नत होगा देश,खेत खलिहान और किसान।
मांशरणागत सेवा फाउंडेशन
चतरा उत्तरी छोटानागपुर का एक ऐसा जिला जिसे कई समस्याएं विरासत में मिली,यथा गरीबी और कुछ बदलते परिवेश से चतरा मुख्यालय से उनचालीस किलोमीटर दूर इटखोरी प्रखंड,पंचायत कोनी, ग्राम पकरिया कला में दीपक भूषण सिन्हा उर्फ सूर्य भूषण सिन्हा सबके दीपू जो अब हमारे बीच नही है और कुछ युवा साथी के प्रयास सेवा के माध्यम से विकास हेतु बसंत पंचमी (26 जनवरी) 2004 को रखी मांशरणागत की नींव और फिर निरंतर बढ़ने लगे कदम, ग्रामीणों ने कियासहयोग और ग्राम विकास पर हुए कई पहल। शिक्षा,स्वास्थ्य, कृषि और ग्राम विकास का अर्थ महज सरकारी औपचरिकताएँ और कुछ असफल प्रयास,आमजन जीवन की स्थिति दयनीय,ग्रामीणों का नगरों और महानगरों की ओर वर्षों से पलायन अर्थात रोजगार का सर्वथा अभाव,जीविका का एकमात्र साधन टूटी फूटी खेती और मजदूरी मानसून की राह जोहता निराश और हताश किसान अस्थाई मजदूरी से मजदूर के रोते बिलखते और दमतोड़ते परिवार, सुदूर क्षेत्र का बिरहोर,मुंडा,भोक्ता, भुइयां,उरांव,पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग का अशिक्षित,अस्वस्थ्य और अविकसित परिवार से बना समाज किन्तु त्योहारों एवं अन्य उत्सवों के अवसर पर सज धज कर गाने,नाचने और खिलखिलाने को आतुर परिवार। मांशरणागत अपने स्थापना काल से अपने कार्यक्षेत्र को तपोभूमि मानकर अबतक विविध कार्य किये है किंतु संथापक के 2021 पांच सितंबर को आकस्मिक निधन के बाद लगभग दो वर्ष संस्था के कार्य शिथिल पड़ गए पुनः 2023 अप्रैल माह में संस्था को नए स्वरूप के साथ जो पूर्व में सोसाइटी एक्ट था उसे सेक्सन 8 कम्पन्नी में तब्दील करते हुए संस्थापक के भाई रवि भूषण सिन्हा ने कार्यों को प्रारम्भ किया। संस्था ने
१.स्वास्थ्य के क्षेत्र में जैसे मलेरिया, डायरिया एवं पर्यावरण इत्यादि विषयों पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जानकारी देना और स्वास्थ्य केंद्रों तक लोगों को जाने के लिए प्रोत्साहित करना।
२.शिक्षा के क्षेत्र में जैसे शिक्षा को ग्राम विकास के मूल में रख कर प्रारम्भ से ही तमासीन विद्यालय की स्थापना जो अब गुरुकुल प्ले स्कूल के रूप में तब्दील है उसके माध्यम से मानसिक, शारीरिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा का प्रयास।
३.कृषि के क्षेत्र में जैसे ग्रामीणों से परंपरागत खेती सम्बंधी जानकारी हासिल कर उनसे मिल बैठ अत्याधुनिक ढंग से और सघन खेती के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना।
४.स्वालम्बन क्षेत्र में जैसे महिलाओं एवं बच्चों में स्वालम्बन की भावना का संचार कर उन्हें उस ओर प्रेरित करना यथा स्वयंसहायता समूह का निर्माण पेंटिंग एवं ठोंगा बनाने में दक्ष करना इत्यादि।
५.आश्रम निर्माण कर बच्चों में सर्वांगीण विकास हेतु रात्रि पाठशाला।६.मानसिक, आध्यात्मिक, शारीरिक एवं नवीनतम जानकारियों हेतु विभिन्न पुस्तकों एवं पत्र पत्रिकाओं का संग्रह।
७.संस्था के स्थापना दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं वस्त्र वितरण इत्यादि कई अहम क्षेत्र में संस्था पूर्व से अबतक कार्य करती रही है। करोनाकाल महामारी के बीच इटखोरी एवं मयूरहण्ड प्रखंड में संस्था ने दस हज़ार मास्क, दो हजार सेनिटाइजर एवं गांव,मुहल्ले बाजार को सेनिटाइज कर नया कीर्तमान स्थापित किया तो वंही जरूरतमन्दों के बीच कच्चे एवं पके राशन घर घर तक पहुंचा जन जन के दिलों में स्थान भी बनाया।
# वृद्ध सेवा
बच्चे तब होंगे समृद्ध जब घरों में होंगे हमारे अपने वृद्ध।
संस्था के आगामी कार्यों में पुस्तकालय निर्माण, गुरु शिष्य परम्परा के अनुरूप नवविद्यालय निर्माण, वृद्धा आश्रम निर्माण,योग परिसर निर्माण इत्यादि मुख्य कार्य है इनके अलावा खेल, कृषि, वृक्षारोपण एवं ग्रामीण विकास के अन्य कार्यों पर भी संस्था प्रमुखता से कार्य करने को आतुर है।
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